surdas ke pad,bharam geet,surdas in hindi
पहिले करि परनाम नन्द सों समाचार सब दीजो /
और वहाँ ब्रिशभानु गोप सों जाय सकल सुधि लीजो /
श्रीदामा आदिक सब ग्वालन मेरे हुतो भेटियो /
सुख सन्देश सुनाय हमारो गोपिन को दुःख मेटियो /
मंत्री इक बन बसत हमारो ताहि मिले सचु पाइयो //
सावधान व्हे मेरे हूतो ताहि ताहि माथ नवायियो/
सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल /
कर मुरली सिर मोर पंख पीताम्बर उर बनमाल //
जनि डरियो तुम सघन बनन में ब्रजदेवी रखवार /
ब्रंदावन सो बसत निरंतर कबहुँ न होत नियार //
उद्धव प्रति सब कही स्यामजू अपने मान की प्रीति /
सूरदास किरपा करि पठए यहै सकल ब्रजरीति //
सोरठा example, raag sorath
कहियों नंद कठोर भए /
हम दोऊ बीरें डारि परघरें मनो थाती सौंपि गए //
तनक तनक तैं पालि बड़े किये बहुतै सुख दिखराए /
गोचारन को चलत हमारे पीछे कोसक धाये //
ये बासुदेव देवकी हमसों कहत आपने जाए /
बहुरि विधाता जसुमति जू के हमहिं न गोद खिलाये //
कौन काज यह राज, नगर को सब सुख सों सुख पाए ?
सूरदास ब्रज समाधान करू आजू काल्हि हम आये //
rag bilawal, सूर meaning
तबहि उपन्गसुत आय गए /
सखा सखा कछु अंतर नाही भरि-भरि अंक लए //
अति सुन्दर तन स्याम सरीखो देखत हरि पछिताने /
ऐसे को वैसी बुधि होती ब्रज पठवै तब आने //
या आगे रस-काव्य प्रकासे जोग -बचन प्रगतावे /
सूर ज्ञान याके दृढ़ हिरदय जुबतिन जोग सिखावै //
rag bilawal
हरि गोकुल की प्रीति चलाई /
सुनहु उपंगसुत मोहिं न बिसरत ब्रजवासी सुखदायी //
यह चित होत जाऊं मैं अबहीं,यहाँ नहीं मन लागत /
गोप सुग्वालन गाय बन चारत अति दुख पायो त्यागत /
कहँ माखनचोरी ? कहँ जसुमति पूत जेंव करि प्रेम /
सूर स्याम के बचन सहित मुनि व्यापत आपन नेम //
ramkali
जदुपति लख्यो तेहि मुसकात /
कहत हम मन रही जोई सोई भई यह बात //
बचन परगट करन लागे प्रेमकथा चलाय /
सुनहु उद्धव मोहि ब्रज की सुध नहीं बिसराय//
रेनि सोवत ,चलत,जागत लगत नहीं मन आन /
नंद जसुमति नारि नर ब्रज जहाँ मेरो प्रान //
कहत हरि,सुनि उपंगसु ! यह कहत हौ रसरीति /
सूर चित तें टरति नाहीं राधिका की प्रीति //
raag sarang
सखा ! सुनो मेरी इक बात /
वह लतागन संग गोपिन सुधि करत पछितात //
कहाँ वहइ ब्रशभानुतनया परम सुन्दर गात /
सुरति आए रासरस की अधिक जिय अकुलात //
सदा हित यह रहत नाहीं सकल मित्थ्याजात /
सूर प्रभु सुनौ मोसों एक ही सों नात //
raag todi, सूर meaning
उद्धव ! यह मन निश्चय जानो /
मन क्रम बच मैं तुम्हैं पठावत ब्रज को तुरत पलानो //
पूरन ब्रह्म, सकल,अविनाशी ताके तुम हो ज्ञाता /
रेख,न रूप,जाति,कुल नाहीं जाके नहिं पितु माता//
यह मत दे गोपिन कहू आवहु बिरह नदी में भासित /
सूर तुरत यह जाय कहौ तुम ब्रह्म बिना नहिं आसति //
raag nat
उद्धव ! बेगि ही ब्रज जाहु /
सुरति सन्देश सुनाय मेटो बल्लभिन को दाहु //
काम पावक तूलमय तन बिरहु-स्वास समीर /
भसम नाहिन होन पावत लोचन के नीर //
अजौं लौं यदि भांति व्हैहे कछुक सजग सरीर /
इते पर बिनु समाधानों क्यों धरै तिय धीर //
कहों कहा बनाय तुमसों सखा साधु प्रवीन ?
सूर सुमति बिचारिये क्यों जिएं जल बिनु मीन //
raag sarang , soordas ji
पथिक ! संदेशों कहियो जाय /
आवेंगे हम दोनों भैया , मैया जनि अकुलाय //
याको बिलगु बहुत हम मान्यो जों कहि पठयो धाय /
कहँ लौं कीर्ति मानिए तुम्हरी बड़ो कियो पय प्याय //
कहयो जाय नंद बाबा सों , अरु गहि पकरयो पाय /
दोऊ दुखी होन नहिं पावहिं घूमरि धौरी गाय //
यद्धपि मथुरा बिभव बहुत है तुम बिनु कछु न सुहाय /
सूरदास ब्रजबासी लोगनि भेटति ह्रदय जुडाय //
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