नमस्कार !दोस्तों आज मैं सभी ऑनलाइन पाठकों के लिए हिंदी शब्दकोश लाया हु क्योंकि भारतं में लाखो ऐसे युवक है जो हिंदी के शब्द ज्ञान के आभाव में सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर पाते ! और ऐसे लाखो युवक युवतियाँ है जो विभिन्न कारणों से नहीं पढाई कर पाते है मेरे दिमाग मे आया की क्यों ना मैं ऑनलाइन हिंदी शब्द कोश को पाठको को दूँ जो इंटरनेट को उपयोग करते हैं केवल फेसबुक ,ट्विटर व्हाट्सएप्प आदि के लिए मेने ऐसे लोगों के लिए हिंदीशब्दकोश नया ब्लॉग शुरू कर दिया जिसमे थोड़ा -थोड़ा ज्ञान देने की हर रोज मेरी कोशिश रहेगी ! आप मुझसे फेसबुक पर भी मिल सकते है क्योकि हमारी राष्ट्र भाषा दुनिया में अपनी पहचान बना रही है तो दूसरी तरफ अपने ही घर में अपना अस्तित्व खो रही है इसलिए में आप सभी पाठको से निवेदन करूंगा कि वे इसे पहचान दिलाने में मेरा सहयोग दे अब ज्यादा समय नष्ट न करते हुए मुख्य बिंदु पर आते है ! जैसा की हम जानते है की हिंदी प्राच्य भाषा संस्कृत से जन्मी है फिर भी उससे कई रूपों में भिन्न है जैसे स्वर, व्यञ्जन , उच्चारण स्थान आदि की दृष्टि से भी भिन्न है मनुष्य संसार के अन्य प्रणियों से इसलिए भिन्न है क्योकि उसके पास भाषा अनुपम खजाना है मनुस्य अपने भावों विचारों को शब्दों के द्वारा व्यक्त करता है अब वाही शब्द हम गलत बोले तो अर्थ का भी अनर्थ हो जाता है वैसे भी आप सभी विद्वान जन जानते ही है की हिंदी का शब्द कोष दुनिया की अन्य भाषाओं से विशाल है कई व्याकरणाचार्यों के मुताबिक यह 7 लाख शब्दों से भी ज्यादा है जबकि वहीँ अंग्रेजी का शब्द कोष 3. 5 लाख के लगभग माना गया है फिर भी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल प रहा है क्यों जरा इसी विचार के साथ रात को सोते समय सोचिये आपकी समझ में आ जायेगा ! हिंदी एक विशाल भाषा है जिसको विभिन्न भारत की अनेक छोटी -छोटी बोलियों उपभाषाओं विदेशी भाषाओं तत्सम तद्भव समास संधि उपसर्ग प्रत्य आदि ने इसे विशाल और अक्षुण बनाए रखा है !आज मै उसी शब्द सागर से कुछ शब्दों को तुम्हे बताने का प्रयास करूंगा जिससे आप भी उससे लाभान्वित हो सके ! तो शुरुआत करते है हिंदी वर्णमाला के प्रथम वर्ण अ से >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> अ - हिंदी [देवनागरी ],संस्कृत वर्णमाला का पहला अक्षर है ,इसका उच्चारण स्थान कण्ठ है /इसके कई अर्थ है ब्रह्मा ,सृष्टि ,अमृत ,मेघ ,ब्राह्मण ,कीर्ति ,कंठ,ललाट / अंक - [सं.,पु,]चिन्ह ,निशान ,छाप ,संख्या [२४ ,५६ १०० आदि ]अदद ,गोद ,बगल ,मुद्रा पर अंकित धार्मिक चिन्ह किसी नाटक या महाकाव्य का खण्ड या सर्ग / अंकक -[सं ,पु ,वि ]इसका स्त्रीलिंग अंकिका हे हिसाब,अंकित करने वाला , ठप्पा या छाप लगने वाला यन्त्र / अंकगत -[सं. वि.]गोद में समाया हुआ ,भूमि में दफ़न किया गया शव ,बोया गया बीज / अंकति -[सं.पु. ]अग्नि ,ब्रह्मा ,पवन भूगर्भ की अग्नि / अंकधारी - शङ्ख ,चक्र ,त्रिशूल। कमल।,गदा आदि धार्मिक चिन्ह धारण वाला / अंकपत्र -[सं. पु. ] परीक्षार्थी के अंकों को दर्शाने वाला कागज ,मुद्रांकित कागज ,टिकट अंकवारी -[हि. स्त्री. ]गोद ,अंक / अंकशायिनी -[सं. स्त्री. ]साथ[बगल ] में सोने वाली औरत / अंकशायी -किसी स्त्री की गोद वाला बालक अथवा पुरुष / अंक्य -ऐसा अपराधी जो दागने योग्य हो ,मृदंग ,पखावज नामक वाद्ययंत्र / अँखिया -[ही. स्त्री ]आँख ,नक्काशी के काम आने वाली छोटो सी कलम / अंग -[सं. पु.]शरीर के भाग ,आश्रित विषय अथवा वस्तु ,मन , आगे फिर लिखूंगा निरन्तर .. अंगचारी -साथी ,सहचर ,हमेशा साथ चलनेवाला / अंगद -[सं. पु.]बाली का पुत्र ,बाजूबंद ,दुर्योधन के एक योद्धा का नाम/ अँगना-[आँगन,घर के मध्य मे खुला हुआ भाग/ अंगना-[सं.पु.]सुन्दर अंगों वाली स्त्री/ अंगपाली-एक दुसरे को बाँहों में भरना ,आलिंगन करना / अंग भू -[सं.वि.]शरीर से पैदा होने वाला ,फोड़ा,अतिरिक्त अंग का निकलना,पुत्र ,काम का भाव/ अंग मरष -गठिया वाय ,वायु रोग/ अंग शोष -छोटे शिशुओं होने वाला सूखा रोग / अंग संग - संभोग/ अंगाकडी -[दे. स्त्री]अंगारों पर सेकी हुइ मोटी रोटी ,बाटी / अंगारक - अंगारा ,रसायन शास्त्र में मंगल ग्रह और कार्बन को भी अंगारक कहा है ,मूँगा / अँगिया -युवतियों द्वारा स्तनों को ढँकने वाला वस्त्र / अँगुली तोरण -मस्तक पर बन हुआ अर्द्धचन्द्राकार तिलक/ अंतक -नाश वाला,मृत्यु ,यमराज सन्निपात ज्वर का प्रकार/ अंधराई -पशुओं पर लगाया जाने वाला कर / अंतस्तल -[सं.पु.]ह्रदय ,अंतकरण/ अन्यज -निम्न जाति मई पैदा होने वाला ,शूद्र / अंत्याक्षरी -किसी शब्द का अंतिम अक्षर / अन्दुआ -हाथी के पिछले पैर फ़साने वाली बेड़ी / अदोर -[हि. पु.]शोर ,कोलाहल/ अंधखोपडा -अज्ञानी ,मूर्ख ,गँवार / अंधेरिया-घोड़े या बैल की आँखों पर बाँधी जाने वाली काली पट्टी/ अम्बुजा -जल में उत्पन्न जीव ,वनस्पति ,मछली ,सीप ,लहर / अम्बुद -जल देने वाला बादल ,तरबूज ,नारियल/ अंभोज -जल में उत्पन्न कमल,चंद्रमा ,मेंढ़क ,सिंघाड़ा / अंश - हिस्सा,भाग ,किसी धनराशि का तीसवां भाग,भाज्य संख्या ,कंधा ,कला ,राजा / अंशुमता - शालपर्णी का पेड़ / अंशुमतफल - केले का पेड़ / अंशुमाली - सूर्य ,12 की संख्या / अंशुल -चतुर व्यक्ति ,ज्ञानी पण्डित / अंस -कन्धा ,स्कन्ध / अंसकूट - बैल या सांड़ की पीठ बन हुआ कूबड़ / अंसत्र -शारीर और कंधे की रक्षा करने वाला कवच / अक-- दुःख ,क्लेश ,पाप / अकच - गंजा ,केतु नामक एक ग्रह / अकवन - मदार का पौधा / अकारांत - जिसका अंत अ से होता हो ऐसा शब्द / अकासी - ताड का वृक्ष / अकुत - जिसका स्थान निर्धारित न किया जा सके ,जो कहा न जा सके, कोई परमिति नहीं हो, अकूर्च - भगवान बुद्ध , मूंछ रहित आदमी / अकृपा - क्रोध ,रोष गुस्सा ,/ अकृष्ट -ईएसआई भूमि जिसको जोता न हो ,बंजर ,रेगिस्तान / अकोर - छाती,पशु दिया गे आटा ,रिश्वत ,गोद / अकोविद -मूर्ख ,अज्ञानी ,ईख के पौधे की सबसे ऊपरी पत्ती / अक्का - माता आदि को पुकारने का शब्द ,अम्मा,माता / अक्र - मजबूत ,कठोर ,स्थिर ,दृढ़ / अक्रूर -सरल स्वाभाव वाला ,कोमल ह्रदय वाला ,दयालू ,कृष्ण भगवान चाचा / अक्षर - एक औषधीय जंगली पौंधा ,अपामार्ग ,जल ,शिव, बृह्मा ,विष्णु ,गगन ,धर्म ,तपस्या ,मुक्ति ,मोक्ष , ,नाश रहित ,सास्वत ,स्थाई ,वर्णमाला वर्ण / आगे फिर में उपस्थित जाऊँगा। जारी रहेगा सफर -----
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नमस्कार !दोस्तों आज मैं सभी ऑनलाइन पाठकों के लिए हिंदी शब्दकोश लाया हु क्योंकि भारतं में लाखो ऐसे युवक है जो हिंदी के शब्द ज्ञान के आभाव में सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर पाते ! और ऐसे लाखो युवक युवतियाँ है जो विभिन्न कारणों से नहीं पढाई कर पाते है मेरे दिमाग मे आया की क्यों ना मैं ऑनलाइन हिंदी शब्द कोश को पाठको को दूँ जो इंटरनेट को उपयोग करते हैं केवल फेसबुक ,ट्विटर व्हाट्सएप्प आदि के लिए मेने ऐसे लोगों के लिए हिंदीशब्दकोश नया ब्लॉग शुरू कर दिया जिसमे थोड़ा -थोड़ा ज्ञान देने की हर रोज मेरी कोशिश रहेगी ! आप मुझसे फेसबुक पर भी मिल सकते है क्योकि हमारी राष्ट्र भाषा दुनिया में अपनी पहचान बना रही है तो दूसरी तरफ अपने ही घर में अपना अस्तित्व खो रही है इसलिए में आप सभी पाठको से निवेदन करूंगा कि वे इसे पहचान दिलाने में मेरा सहयोग दे अब ज्यादा समय नष्ट न करते हुए मुख्य बिंदु पर आते है ! जैसा की हम जानते है की हिंदी प्राच्य भाषा संस्कृत से जन्मी है फिर भी उससे कई रूपों में भिन्न है जैसे स्वर, व्यञ्जन , उच्चारण स्थान आदि की दृष्टि से भी भिन्न है मनुष्य संसार के अन्य प्रणियों से इसलिए भिन्न है क्योकि उसके पास भाषा अनुपम खजाना है मनुस्य अपने भावों विचारों को शब्दों के द्वारा व्यक्त करता है अब वाही शब्द हम गलत बोले तो अर्थ का भी अनर्थ हो जाता है वैसे भी आप सभी विद्वान जन जानते ही है की हिंदी का शब्द कोष दुनिया की अन्य भाषाओं से विशाल है कई व्याकरणाचार्यों के मुताबिक यह 7 लाख शब्दों से भी ज्यादा है जबकि वहीँ अंग्रेजी का शब्द कोष 3. 5 लाख के लगभग माना गया है फिर भी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल प रहा है क्यों जरा इसी विचार के साथ रात को सोते समय सोचिये आपकी समझ में आ जायेगा ! हिंदी एक विशाल भाषा है जिसको विभिन्न भारत की अनेक छोटी -छोटी बोलियों उपभाषाओं विदेशी भाषाओं तत्सम तद्भव समास संधि उपसर्ग प्रत्य आदि ने इसे विशाल और अक्षुण बनाए रखा है !आज मै उसी शब्द सागर से कुछ शब्दों को तुम्हे बताने का प्रयास करूंगा जिससे आप भी उससे लाभान्वित हो सके ! तो शुरुआत करते है हिंदी वर्णमाला के प्रथम वर्ण अ से >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> अ - हिंदी [देवनागरी ],संस्कृत वर्णमाला का पहला अक्षर है ,इसका उच्चारण स्थान कण्ठ है /इसके कई अर्थ है ब्रह्मा ,सृष्टि ,अमृत ,मेघ ,ब्राह्मण ,कीर्ति ,कंठ,ललाट / अंक - [सं.,पु,]चिन्ह ,निशान ,छाप ,संख्या [२४ ,५६ १०० आदि ]अदद ,गोद ,बगल ,मुद्रा पर अंकित धार्मिक चिन्ह किसी नाटक या महाकाव्य का खण्ड या सर्ग / अंकक -[सं ,पु ,वि ]इसका स्त्रीलिंग अंकिका हे हिसाब,अंकित करने वाला , ठप्पा या छाप लगने वाला यन्त्र / अंकगत -[सं. वि.]गोद में समाया हुआ ,भूमि में दफ़न किया गया शव ,बोया गया बीज / अंकति -[सं.पु. ]अग्नि ,ब्रह्मा ,पवन भूगर्भ की अग्नि / अंकधारी - शङ्ख ,चक्र ,त्रिशूल। कमल।,गदा आदि धार्मिक चिन्ह धारण वाला / अंकपत्र -[सं. पु. ] परीक्षार्थी के अंकों को दर्शाने वाला कागज ,मुद्रांकित कागज ,टिकट अंकवारी -[हि. स्त्री. ]गोद ,अंक / अंकशायिनी -[सं. स्त्री. ]साथ[बगल ] में सोने वाली औरत / अंकशायी -किसी स्त्री की गोद वाला बालक अथवा पुरुष / अंक्य -ऐसा अपराधी जो दागने योग्य हो ,मृदंग ,पखावज नामक वाद्ययंत्र / अँखिया -[ही. स्त्री ]आँख ,नक्काशी के काम आने वाली छोटो सी कलम / अंग -[सं. पु.]शरीर के भाग ,आश्रित विषय अथवा वस्तु ,मन , आगे फिर लिखूंगा निरन्तर .. अंगचारी -साथी ,सहचर ,हमेशा साथ चलनेवाला / अंगद -[सं. पु.]बाली का पुत्र ,बाजूबंद ,दुर्योधन के एक योद्धा का नाम/ अँगना-[आँगन,घर के मध्य मे खुला हुआ भाग/ अंगना-[सं.पु.]सुन्दर अंगों वाली स्त्री/ अंगपाली-एक दुसरे को बाँहों में भरना ,आलिंगन करना / अंग भू -[सं.वि.]शरीर से पैदा होने वाला ,फोड़ा,अतिरिक्त अंग का निकलना,पुत्र ,काम का भाव/ अंग मरष -गठिया वाय ,वायु रोग/ अंग शोष -छोटे शिशुओं होने वाला सूखा रोग / अंग संग - संभोग/ अंगाकडी -[दे. स्त्री]अंगारों पर सेकी हुइ मोटी रोटी ,बाटी / अंगारक - अंगारा ,रसायन शास्त्र में मंगल ग्रह और कार्बन को भी अंगारक कहा है ,मूँगा / अँगिया -युवतियों द्वारा स्तनों को ढँकने वाला वस्त्र / अँगुली तोरण -मस्तक पर बन हुआ अर्द्धचन्द्राकार तिलक/ अंतक -नाश वाला,मृत्यु ,यमराज सन्निपात ज्वर का प्रकार/ अंधराई -पशुओं पर लगाया जाने वाला कर / अंतस्तल -[सं.पु.]ह्रदय ,अंतकरण/ अन्यज -निम्न जाति मई पैदा होने वाला ,शूद्र / अंत्याक्षरी -किसी शब्द का अंतिम अक्षर / अन्दुआ -हाथी के पिछले पैर फ़साने वाली बेड़ी / अदोर -[हि. पु.]शोर ,कोलाहल/ अंधखोपडा -अज्ञानी ,मूर्ख ,गँवार / अंधेरिया-घोड़े या बैल की आँखों पर बाँधी जाने वाली काली पट्टी/ अम्बुजा -जल में उत्पन्न जीव ,वनस्पति ,मछली ,सीप ,लहर / अम्बुद -जल देने वाला बादल ,तरबूज ,नारियल/ अंभोज -जल में उत्पन्न कमल,चंद्रमा ,मेंढ़क ,सिंघाड़ा / अंश - हिस्सा,भाग ,किसी धनराशि का तीसवां भाग,भाज्य संख्या ,कंधा ,कला ,राजा / अंशुमता - शालपर्णी का पेड़ / अंशुमतफल - केले का पेड़ / अंशुमाली - सूर्य ,12 की संख्या / अंशुल -चतुर व्यक्ति ,ज्ञानी पण्डित / अंस -कन्धा ,स्कन्ध / अंसकूट - बैल या सांड़ की पीठ बन हुआ कूबड़ / अंसत्र -शारीर और कंधे की रक्षा करने वाला कवच / अक-- दुःख ,क्लेश ,पाप / अकच - गंजा ,केतु नामक एक ग्रह / अकवन - मदार का पौधा / अकारांत - जिसका अंत अ से होता हो ऐसा शब्द / अकासी - ताड का वृक्ष / अकुत - जिसका स्थान निर्धारित न किया जा सके ,जो कहा न जा सके, कोई परमिति नहीं हो, अकूर्च - भगवान बुद्ध , मूंछ रहित आदमी / अकृपा - क्रोध ,रोष गुस्सा ,/ अकृष्ट -ईएसआई भूमि जिसको जोता न हो ,बंजर ,रेगिस्तान / अकोर - छाती,पशु दिया गे आटा ,रिश्वत ,गोद / अकोविद -मूर्ख ,अज्ञानी ,ईख के पौधे की सबसे ऊपरी पत्ती / अक्का - माता आदि को पुकारने का शब्द ,अम्मा,माता / अक्र - मजबूत ,कठोर ,स्थिर ,दृढ़ / अक्रूर -सरल स्वाभाव वाला ,कोमल ह्रदय वाला ,दयालू ,कृष्ण भगवान चाचा / अक्षर - एक औषधीय जंगली पौंधा ,अपामार्ग ,जल ,शिव, बृह्मा ,विष्णु ,गगन ,धर्म ,तपस्या ,मुक्ति ,मोक्ष , ,नाश रहित ,सास्वत ,स्थाई ,वर्णमाला वर्ण / आगे फिर में उपस्थित जाऊँगा। जारी रहेगा सफर -----
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