अर्थव्यवस्था की माप के लिए आरबीआई ने जीवीए मॉडल छोड़कर जीडीपी फॉर्म्युले को वापस अपनाया

अर्थव्यवस्था में वृद्धि अनुमान व्यक्त करने को लेकर रिजर्व बैंक ने फिर से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आधारित पैमाने को अपना लिया है। रिजर्व बैंक ने वैश्विक स्तर पर अपनाई जा रही पद्यति को इसकी वजह बताया है।
RBI switches back to GDP model from GVA model

RBI switches back to GDP model from GVA model 


इससे पहले केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि मापने के लिए सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) पैमाने को अपनाया था।
इतिहास:
सरकार ने जनवरी 2015 से जीवीए फॉर्म्युले को अपनाते हुए आर्थिक वृद्धि के अनुमान का विश्लेषण करना शुरू किया था।
जनवरी से आधार वर्ष को बदलकर 2018 कर दिया।
जीवीए और जीडीपी में अंतर:
जीवीए फॉर्म्युले के तहत जहां उत्पादक या आपूर्ति पक्ष की तरफ से आर्थिक गतिविधियों की तस्वीर पेश की जाती है वहीं जीडीपी नमूने में उपभोक्ता पक्ष या मांग के परिपेक्ष में आर्थिक गतिविधियों का अनुमान लगाया जाता है।
  • Ø  जीडीपी पद्वति की तरफ लौटने की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप काम करना है।
  • Ø  दुनियाभर में ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मापा जाता है। बहुपक्षीय संस्थानों भी इसी पद्यति को अपना रहे हैं।
  • Ø  अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक और निवेशक भी इसी पद्वति को लेकर विश्लेषण करते हैं।
  • Øइससे एक दूसरे देश के साथ तुलना करने में भी आसानी होती है।

 केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने भी इस साल 15 जनवरी के बाद से आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिये जीडीपी आंकड़ों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

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